उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बार फिर बड़ा फर्जीवाड़ा बेनकाब किया है। प्रादेशिक सेना (टेरीटोरियल आर्मी) में भर्ती कराने के नाम पर फर्जी दस्तावेज और झूठे नियुक्ति पत्र देकर युवाओं से लाखों रुपये ठगने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। एसटीएफ आगरा की टीम ने एक सूचना के आधार पर हरिपर्वत थाना क्षेत्र के टीपीनगर इलाके में कार्रवाई कर इन तीनों को धर दबोचा।
फर्जी दस्तावेजों के सहारे युवाओं से ठगी
गिरफ्तार आरोपियों में अजय कुमार (फिरोजाबाद), दीपक सिंह (हाथरस) और सुनील कुमार (सीतापुर) शामिल हैं। यह गिरोह भोले-भाले युवकों को सेना में भर्ती कराने का झांसा देता था। ये लोग फर्जी नियुक्ति पत्र, आधार कार्ड, वोटर कार्ड और मेडिकल टेस्ट पास के नकली दस्तावेज तैयार कर युवकों को सेना में भर्ती होने का सपना दिखाकर उनसे ₹30 हजार से ₹1.4 लाख तक वसूलते थे।
एसटीएफ को मिली अहम सूचना
एसटीएफ को इनपुट मिला था कि कुछ लोग टेरीटोरियल आर्मी में भर्ती कराने के नाम पर ठगी का रैकेट चला रहे हैं। इस सूचना को गंभीरता से लेते हुए एसटीएफ आगरा की टीम ने मामले की सूक्ष्म निगरानी शुरू की। तकनीकी सर्विलांस और ग्राउंड इनपुट के आधार पर टीम ने तीनों आरोपियों की गतिविधियों पर नजर रखी। एक सूचना पुख्ता होने के बाद टीम ने टीपीनगर इलाके में छापेमारी कर तीनों को रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया। उनके कब्जे से तीन फर्जी आधार कार्ड, तीन वोटर कार्ड, तीन फर्जी नियुक्ति पत्र, तीन फर्जी मेडिकल पास, तीन मोबाइल फोन और ₹1630 नकद बरामद किए गए।
जम्मू-कश्मीर और पंजाब के युवकों को बनाते थे निशाना
गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे जम्मू, कश्मीर और पंजाब के युवाओं को मुख्य रूप से निशाना बनाते थे। इन इलाकों में सेना में भर्ती होने की उच्च आकांक्षा को भुनाकर आरोपी उन्हें झूठे दस्तावेज दिखाते और यह भरोसा दिलाते कि उनका चयन टेरीटोरियल आर्मी में हो गया है। इसके एवज में वे ₹30 हजार से ₹1.4 लाख तक की मोटी रकम वसूलते थे। यह राशि आरोपी दीपक कुमार शर्मा नामक व्यक्ति के खाते में डलवाते थे, जो इन्हें फर्जी दस्तावेज बनाकर देता था। पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि अब तक यह गिरोह दर्जनों युवकों को इसी तरीके से ठग चुका है। कई युवाओं ने तो नकली भर्ती पत्र लेकर अपने घरों में जश्न भी मना लिया था, लेकिन बाद में सच्चाई सामने आई।
फर्जी प्रमाण पत्र यूट्यूब और इंटरनेट से सीखे थे बनाना
जानकारी के अनुसार आरोपी यूट्यूब और इंटरनेट के माध्यम से फर्जी प्रमाण पत्र, नियुक्ति पत्र आदि तैयार करने के तरीके सीखते थे। इसके बाद लोकल स्तर पर फर्जी कागज, मोहरें और सिग्नेचर तैयार कर युवकों को विश्वास में लेते थे। आरोपियों के कब्जे से बरामद दस्तावेजों की गुणवत्ता देखकर साफ है कि ये गिरोह काफी पेशेवर ढंग से काम कर रहा था। नकली नियुक्ति पत्र देखकर आम आदमी के लिए यह असली और सरकारी दस्तावेज जैसा प्रतीत होता था।
कैसे होती थी भर्ती की झांसेबाजी
गिरोह का काम करने का तरीका बेहद सुनियोजित था। पहले ये सोशल मीडिया या अन्य लोकल संपर्क के जरिये युवाओं से संपर्क करते थे। फिर उन्हें बताते कि उनका सेना में सीधा चयन कराया जा सकता है। इसके लिए कमीशन और सिक्योरिटी मनी के नाम पर रकम मांगी जाती थी। एक बार रकम मिलने के बाद युवकों को नकली दस्तावेज देकर कहा जाता था कि वे जल्द ही ट्रेनिंग के लिए बुलाए जाएंगे। कुछ मामलों में मेडिकल टेस्ट पास रिपोर्ट तक दे दी जाती थी।
STF का बयान
एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, “इस तरह के फर्जीवाड़े युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं। हमारी टीम ने त्वरित कार्रवाई कर इस गिरोह को पकड़ने में सफलता हासिल की है। आगे की जांच जारी है।” एसटीएफ ने युवाओं और अभिभावकों से अपील की है कि वे इस तरह के झूठे प्रस्तावों से सावधान रहें और किसी भी तरह के भर्ती संबंधित लेन-देन से पहले आधिकारिक स्रोतों से पूरी जानकारी जरूर लें।
मुकदमा दर्ज, आगे की कार्रवाई जारी
गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। सभी आरोपियों को स्थानीय पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया है। पुलिस इनसे पूछताछ कर यह जानने की कोशिश कर रही है कि गिरोह में और कौन-कौन लोग शामिल हैं। इसके अलावा पुलिस उन युवाओं की सूची भी तैयार कर रही है, जिनसे यह गिरोह अब तक धोखाधड़ी कर चुका है। ऐसे सभी युवाओं को जल्द ही जांच के लिए बुलाया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई और इस गिरोह का शिकार न बना हो।