उत्तराखंड के हरिद्वार में रुड़की के गंग नहर कोतवाली क्षेत्र के माधोपुर गांव में 24 अगस्त 2024 को जिम ट्रेनर वसीम उर्फ मोनू की तालाब में डूबकर मौत के मामले में नया मोड़ आया है. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरिद्वार की कोर्ट के आदेश पर गंग नहर कोतवाली पुलिस ने उपनिरीक्षक शरद सिंह, कांस्टेबल सुनील सैनी, कांस्टेबल प्रवीण सैनी, और तीन अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया है.
मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया था कि गोवंश संरक्षण स्क्वाड के पुलिसकर्मियों ने वसीम को लाठी-डंडों से पीटा और तालाब में फेंककर उसकी हत्या की.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि 24 अगस्त 2024 की रात माधोपुर गांव के तालाब के पास वसीम उर्फ मोनू की लाश बरामद हुई थी. वह सोहलपुर गाड़ा का निवासी था. पुलिस ने दावा किया था कि वसीम गोमांस तस्करी में शामिल था और पकड़े जाने के डर से तालाब में कूद गया, जिससे उसकी डूबने से मौत हो गई. हालांकि, मृतक के चचेरे भाई अलाउद्दीन ने पुलिस के दावे को खारिज करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में कहा गया कि गोवंश संरक्षण स्क्वाड के पुलिसकर्मियों ने वसीम को पकड़कर लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटा और फिर उसे तालाब में फेंक दिया.
अलाउद्दीन ने यह भी आरोप लगाया कि वसीम जब मदद के लिए चीख रहा था, तब कुछ ग्रामीण टॉर्च की रोशनी में घटना देखने पहुंचे. उन्होंने वसीम को बचाने की कोशिश की, लेकिन पुलिसकर्मियों ने गोली मारने की धमकी देकर उन्हें भगा दिया. अगले दिन वसीम का शव तालाब से बरामद हुआ, जिस पर चोट के निशान थे. परिजनों ने तुरंत गंग नहर कोतवाली में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया. इसके बाद परिजनों ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार श्रीवास्तव की कोर्ट में गुहार लगाई.
कोर्ट का आदेश और पुलिस कार्रवाई
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने परिजनों की याचिका पर सुनवाई के बाद 3 जुलाई 2025 को उपनिरीक्षक शरद सिंह, कांस्टेबल सुनील सैनी, कांस्टेबल प्रवीण सैनी, और तीन अन्य अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया. कोर्ट ने इस सनसनीखेज मामले की निष्पक्ष जांच के लिए सीओ रैंक के अधिकारी को नियुक्त करने के भी निर्देश दिए. एसपी देहात शेखर सुयाल ने बताया कि कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए गंग नहर कोतवाली पुलिस ने सभी छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है, और मामले की गहन जांच की जा रही है.
पुलिस की छवि पर सवाल
इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. परिजनों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि गोवंश संरक्षण स्क्वाड ने सुनियोजित तरीके से वसीम की हत्या की. सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर भारी विवाद हुआ था, जहां कुछ मुस्लिम हैंडल्स ने इसे मॉब लिंचिंग बताकर प्रचारित किया. हालांकि, हरिद्वार पुलिस ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा था कि वसीम की मौत तालाब में डूबने से हुई.