हरदोईः ये प्यार नहीं आसान एक आग का दरिया है और डूब के जाना है. इस कहावत को चरितार्थ कर रही है हरदोई से निकली एक अनोखी बारात. दुल्हन लेने जा रहे दूल्हे के सिर पर सेहरा, गले में नोटों की माला तो थी लेकिन पैंट और जूते हाथ में थे. क्योंकि बाढ़ के पानी को पार करके ससुराल जाना था. दूल्हे के साथ बाराती भी आधे ही कपड़े में ही घुटने तक पानी से निकलकर नाव पर पहुंचे फिर डर के साए में दुल्हन के घर रवाना हुए.
जानकारी के मुताबिक, पाली क्षेत्र के कहारकोला गांव निवासी राहुल की 11 जुलाई की शादी थी और बारात शाहाबाद के कालागाड़ा गांव जानी थी. लेकिन पाली क्षेत्र से निकली गर्रा नदी में बाढ़ के कारण गांव टापू में तब्दील हो चुका है. अब ऐसे में नाव के सहारे बारात ले जाने का विकल्प बचा था. फिर क्या था बाराती और दूल्हे हाथों में जूते और सामान लेकर शादी करने निकल पड़े.
दूल्हे राहुल ने बताया कि कहारकोला गांव में सिर्फ एक नाव संचालित है. इसी नाव के जरिये उन्होंने आधा रास्ता तय किया. इसके बाद लगभग एक किलोमीटर तक संपर्क मार्ग से मुख्य मार्ग तक का सफर उन्हें पैदल ही तय करना पड़ा, क्योंकि नाव वहां तक नहीं जाती. रास्ते में घुटने तक पानी भरा था, जिसमें चलकर ससुराल जा रहे हैं. राहुल व उसके परिजनों ने बताया कि ये समस्या सिर्फ उनकी ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्रवासियों की है.
वहीं, इस खतरे भरे सफर में कुछ बाराती जहरीले जीव जन्तु जैसे सांप इत्यादि की चपेट में आ गए. बारातियों ने बताया कि उनके एक साथी को सांप ने काट लिया है, जिन्हें नजदीकी अस्पताल में इलाज भर्ती कराया गया है. दूल्हे राहुल के पिता बृजेश ने बताया कि अभी कुछ दिनों तक दुल्हन अपने पति के साथ अपने चाचा के घर शाहबाद में ही रहेगी. क्योंकि इस खतरों भरे रास्ते से घर लाना उचित नहीं है. इस लिए बारात लेकर वे अपने घर नहीं आएंगे. उन्होंने कहा कि जब तक जलस्तर कम नहीं होगा, वे अपनी बहू को इस खतरनाक रास्ते से लेकर नहीं गुजरेंगे.