संचार नाउ। राष्ट्रीय देहात मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, गुर्जर समाज के अग्रणी नेता और सामाजिक न्याय के योद्धा स्व. चौधरी केसरी सिंह ‘गुर्जर’ की द्वितीय पुण्यतिथि पर 25 अगस्त को परी चौक स्थित अखिल भारतीय गुर्जर संस्कृति शोध संस्थान में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। देहात मोर्चे के द्वारा कराई जा रही इस विचार गोष्ठी में गौतम बुद्ध नगर के 244 गांव में पंचायत चुनाव का ना होना मुख्य विषय रहेगा। पंचायत चुनाव के न होने से इन गांवों के ग्रामीणों को मताधिकार जैसे संवैधानिक अधिकार से वंचित हैं।
दरअसल, इस विचार गोष्ठी में राष्ट्रीय देहात मोर्चा, किसान संगठनों और विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े सैकड़ों लोग शामिल होंगे और अपने विचार रखेंगे। यह आयोजन न केवल स्व. केसरी सिंह ‘गुर्जर’ को श्रद्धांजलि होगा, बल्कि पंचायत चुनाव बहाली के लिए एक नए जनआंदोलन की दिशा भी तय करेगा।
गौरतलब है कि चौधरी केसरी सिंह ‘गुर्जर’ (1935–2025) देहात मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। वे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता, सामाजिक न्याय और वंचित वर्गों के अधिकारों के प्रखर योद्धा तथा वी.पी. सिंह, शरद यादव और रामविलास पासवान जैसे दिग्गज नेताओं के विश्वस्त सहयोगी रहे। 90 वर्ष की आयु में उनके निधन से सामाजिक न्याय की धारा को अपूरणीय क्षति हुई।
पंचायत चुनाव न होने को लेकर असंतोष
देहाती मौर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राव संजय भाटी ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर के 244 गांवों में पंचायत चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं, जबकि इन गांवों के लोग अपने मताधिकार जैसे संवैधानिक अधिकार से वंचित हैं। कई बार आंदोलन होने के बावजूद अब तक सरकार और प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्रों में पंचायत चुनाव रद्द होने से गांवों में प्रतिनिधित्व खत्म हो गया है। जन्म प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, विकास कार्यों और अन्य मूलभूत जरूरतों के लिए ग्रामीणों को अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था अब तक बनाई गई है।
मांग: चुनाव कराए जाएं या विकल्प दिया जाए
देहाती मिर्ची के राष्ट्रीय अध्यक्ष राव संजय भाटी ने कहा कि गौतमबुद्ध नगर के 244 गांवों के लोगों को लंबे समय से उनके संवैधानिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि या तो सरकार तुरंत पंचायत चुनाव बहाल करे, या फिर इस क्षेत्र के लिए कोई नया वैकल्पिक प्रतिनिधित्व तंत्र लागू करे, ताकि ग्रामीण अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें और विकास कार्य सुचारू रूप से आगे बढ़ सकें। उन्होंने यह भी बताया कि 25 अगस्त की विचार गोष्ठी के बाद जो सामूहिक निर्णय होगा, उसी के आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी।