उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ की घटना की जांच कर रहे SIT ने अपनी रिपोर्ट यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. SIT रिपोर्ट में आयोजकों, अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है. इसमें कहा गया है कि हाथरस में ‘भोले बाबा’ की ‘प्रार्थना सभा’ की अनुमति देने वाले अधिकारी ने कभी भी आयोजन स्थल का निरीक्षण नहीं किया, जिसमें भगदड़ में 121 लोग मारे गए थे. SIT रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने मंगलवार को संबंधित उप जिलाधिकारी (SDM) और पुलिस क्षेत्राधिकारी (CO) समेत छह लोगों को सस्पेंड कर दिया.
पर्याप्त व्यवस्था में नाकाम
SIT रिपोर्ट में कार्यक्रम आयोजकों और स्थानीय प्रशासन, जिसमें पुलिस भी शामिल है को भगदड़ और मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. इसमें कहा गया है कि वे इतनी बड़ी भीड़ के लिए ‘पर्याप्त व्यवस्था करने में नाकाम रहे.’ रिपोर्ट में कहा गया है कि न तो स्थानीय अधिकारियों और न ही पुलिस ने इस कार्यक्रम को ‘गंभीरता से’ लिया. ‘सत्संग’ को आयोजित करने की अनुमति देने वाले SDM समेत छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है और मुख्य आयोजक देवप्रकाश मधुकर सहित 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
125 लोगों के बयान पर बनी रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रोटोकॉल की चूक के कारण स्थानीय पुलिस ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भगदड़ और मौतों के बारे में तुरंत सूचित नहीं किया. जांच दल ने भी मुख्यमंत्री की बात दोहराते हुए इस त्रासदी के पीछे ‘साजिश’ की तरफ इशारा किया और विस्तृत जांच की सिफारिश की है. यह रिपोर्ट 125 लोगों के बयानों पर आधारित है. इनमें प्रत्यक्षदर्शी, जीवित बचे लोगों से लेकर पुलिस और जिला अधिकारियों के बयान शामिल हैं. इसके अलावा, समाचार रिपोर्टों, तस्वीरों और वीडियो फुटेज की भी जांच की गई है.
जांच रिपोर्ट की प्रमुख बातें…
- जांच समिति ने अब तक हुई जांच व कार्यवाही के आधार पर हादसे के पीछे किसी बड़ी साजिश से भी इंकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत बताई है.
- जांच समिति ने कार्यक्रम आयोजक तथा तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन को भी दोषी पाया है. स्थानीय एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज द्वारा अपने दायित्व का निर्वहन करने में लापरवाही के जिम्मेदार हैं.
- उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ द्वारा बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किये आयोजन की अनुमति प्रदान कर दी गई और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया.
- उक्त अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया गया और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत भी नहीं कराया गया. एसआईटी ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है. तदक्रम में, उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ, पुलिस क्षेत्राधिकारी सिकन्दराराऊ, थानाध्यक्ष सिकन्दराराऊ, तहसीलदार सिकन्दराराऊ, चौकी इन्चार्ज कचौरा एवं चौकी इन्चार्ज पोरा को शासन द्वारा निलंबित कर दिया गया है.
- आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति ली. अनुमति के लिए लागू शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया. आयोजकों द्वारा अप्रत्याशित भीड़ को आमंत्रित कर पर्याप्त एवं सुचारु व्यवस्था नहीं की गई न ही कार्यक्रम के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा दी गई अनुमति की शर्तों का पालन किया गया.
- आयोजक मंडल से जुड़े लोग अव्यवस्था फैलाने के दोषी पाए गए हैं. इनके द्वारा जिन लोगों को बिना विधिवत पुलिस वेरिफिकेशन के जोड़ा गया, उनसे अव्यवस्था फैली. आयोजक मंडल द्वारा पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया गया. स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण से रोकने का प्रयास किया गया.
- सत्संगकर्ता और भीड़ को बिना सुरक्षा प्रबंध के आपस में मिलने की छूट दी गई. भारी भीड़ के दृष्टिगत यहां किसी प्रकार की बैरीकेटिंग अथवा पैसेज की व्यवस्था नहीं बनाई गई थी और दुर्घटना घटित होने पर आयोजक मंडल के सदस्य घटना स्थल से भाग गए.