ग्रेटर नोएडा। 30 हजार किसान और 20 हजार घर खरीदारों का फैसला दो माह से शासन में अटका है । सुरक्षा रीयल्टी को लेकर यमुना प्राधिकरण की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर शासन स्तर से फैसला ना हो पाने के कारण किसानों को अतिरिक्त मुआवजा वितरण अटका हुआ है।
यमुना प्राधिकरण किसानों को मुआवजा वितरण के लिए दो बार तिथि दे चुका है, लेकिन दोनों ही बार किस खाली हाथ रह गए। यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway) का संचालन कर रही कंपनी जेपी इंफ्राटेक का सुरक्षा रीयल्टी ने अधिग्रहण किया है।
30 हजार किसान पिछले 10 साल से कर रहे मुआवजे की मांग
यमुना एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण से प्रभावित गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा और आगरा के तकरीबन 30 हजार किसान पिछले 10 साल से 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजे की मांग कर रहे हैं। पहले मामला कोर्ट में, फिर एनसीएलटी में जाने के कारण किसानों को मुआवजा नहीं मिल सका।
जेपी इंफ्राटेक का सुरक्षा रीयल्टी द्वारा अधिग्रहण होने के बाद किसानों को मुआवजा जल्द वितरण होने की उम्मीद जगी थी, लेकिन एनसीएलटी के फैसले ने किसानों के उम्मीदों पर पानी फेर दिया, हालांकि एनसीएलएटी के फैसले में किसानों को मुआवजा वितरण के लिए 1334.31 करोड रुपए देने की आदेश के बाद एक बार फिर मुआवजे की उम्मीद बंधी।
दीपावली से पहले मुआवजे की पहली किस्त देने की हुई थी बात
प्राधिकरण (Yamuna Authority) ने दावा किया था कि 30 सितंबर तक किसानों को मुआवजे की पहली किस्त का वितरण हो जाएगा। लेकिन किसानों को मुआवजा वितरण नहीं हो पाया। इसके बाद प्राधिकरण ने दावा किया था कि दीपावली से पहले मुआवजे की पहली किस्त दे दी जाएगी। एक बार फिर किसान खाली हाथ रह गए।
दरअसल सुरक्षा रीयल्टी को लेकर यमुना प्राधिकरण के प्रस्ताव पर शासन स्तर से फैसला होना है। इसके तहत यह तय होगा कि यमुना प्राधिकरण मुआवजा वितरण के लिए कुल राशि का 21 प्रतिशत यानी 360 करोड़ का भुगतान करेगा। शासन स्तर से अभी तक इस पर स्वीकृति नहीं दी गई है। इसलिए किसानों को मुआवजा वितरण नहीं हो पा रहा है।
जहां एक तरफ किसान मुआवजा को लेकर परेशान हैं वहीं दूसरी तरफ जेपी इंफ्राटेक की आवासीय परियोजना में फंसी 20 हजार घर खरीदार भी परेशान है। यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ अरुणवीर सिंह का कहना है कि शासन से स्वीकृति मिलते ही मुआवजे की पहली किस्त किसानों को जारी कर दी जाएगी।