प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में सभी सिविल सूट की एक साथ सुनवाई करने के हाईकोर्ट के आदेश को वापस लेने अर्जी पर अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल इस अर्जी पर बुधवार को सुनवाई पूरी हो गई. मुस्लिम पक्ष का कहना था कि सभी 15 वादों में मांगी गई राहतें अलग-अलग और असमान हैं, इसलिए इन्हें एक साथ सुनना गलत है. न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन मामले की सुनवाई कर रहे हैं.
कोर्ट ने श्रीकृष्ण भूमि और ईदगाह विवाद में दाखिल किए गए सभी 15 सिविल सूट को एक साथ सुनने के आदेश दिया था. इसके बाद वाद की पोषणीयता पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने वाद को सुनने योग्य पाया. इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने सभी सिविल सूट को एक साथ सुनने के आदेश को वापस के आवेदन पर सुनवाई की प्रार्थना की.
बुधवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से रिकॉल आवेदन पर तस्नीम अहमदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से बहस की. उन्होंने कहा कि जितने भी वाद दाखिल किए गए हैं, उनकी प्रार्थनाएं अलग-अलग हैैं. इनमें कोई समानता नहीं है. इसलिए इन्हें एक साथ न सुना जाए. सभी वादों को संयुक्त करने का आदेश पोषणीय नहीं है, क्योंकि सभी पक्षकारों से सहमति नहीं ली गई है. उन्होंने कोर्ट से सभी मुकदमों को एक साथ सुने जाने के आदेश को वापस लेने की प्रार्थना की.
हिंदूपक्ष की ओर से अधिवक्ता सत्यबीर सिंह ने दलील दी कि विधायिका ने न्यायालय को दो या दो से अधिक वादों का एकीकरण कर सुनवाई करने का विवेकाधिकार दिया है. इसी के तहत न्यायालय ने एक जैसे मामलों को एक साथ सुनने का फैसला लिया व सुनवाई शुरू हो गई. उस वक्त मुस्लिम पक्ष ने अपनी आपत्ति पर बहस नहीं की. बल्कि वाद की पोषणीयता पर जोर दिया. इससे यह साबित होता है कि प्रतिवादी की मौन स्वीकृति रही. अब मुकदमे के इस स्तर पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति सही नहीं है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया है.