संचार नाउ। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक स्थिति में पहुंच रहा है। दिल्ली-एनसीआर में GRAP-3 लागू होने के बावजूद गौतम बुध नगर में वायु गुणवत्ता में सुधार नहीं हो रहा है। दोनों शहरों में एक्यूआई 450 के आसपास या उससे ऊपर दर्ज किया जा रहा है, जिससे हवा जहरीली होती जा रही है। प्रशासन और प्राधिकरण की तरफ से सड़कों और पेड़ों पर पानी का छिड़काव, प्रदूषण फैलाने वालों पर कार्रवाई और जुर्माने जैसे कदम उठाने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीन पर इनका प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा है। परिणामस्वरूप लोग दमघोंटू वातावरण में सांस लेने के लिए मजबूर हैं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।

दरअसल, बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण नोएडा-ग्रेटर नोएडा के नागरिकों को सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन, गले में खराश, सिरदर्द और अत्यधिक थकान जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर बच्चों, बुजुर्गों और हृदय या श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए यह स्थिति अत्यंत खतरनाक बन गई है। हवा की खराब गुणवत्ता लोगों की सामान्य दिनचर्या को भी प्रभावित कर रही है।

जिम्स हॉस्पिटल के डायरेक्टर ब्रिगेडियर डॉ. राकेश कुमार गुप्ता ने बढ़ते प्रदूषण पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने बताया कि हर साल की तरह इस बार भी नवंबर-दिसंबर के महीनों में प्रदूषण का स्तर कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण सांस संबंधी मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। सामान्यतः इन महीनों में मरीजों की संख्या कम रहती है, लेकिन इस बार स्थिति उलट है।
उन्होंने सलाह दी कि लोगों को बिल्कुल जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलना चाहिए और बाहर जाते समय मास्क अवश्य लगाना चाहिए। डॉ. गुप्ता ने कहा कि जैसे कोविड महामारी के दौरान लोगों ने अनुशासन दिखाया था, वैसा ही अनुशासन अब भी बेहद जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी को सांस लेने में कठिनाई, असामान्य थकान या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं महसूस हों, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। तेजी से बढ़ते प्रदूषण स्तर और प्रशासनिक लापरवाही के बीच नोएडा और ग्रेटर नोएडा की हवा लगातार और अधिक खतरनाक होती जा रही है।











