‘मैं अपनी इच्छा से सुसाइड कर रहा हूं। इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। ये दुनिया मेरे लिए नहीं है। मैं सिर्फ एक यूजलेस हूं। मैं अच्छा स्टूडेंट नहीं हूं। मैं स्ट्रेस और प्रेशर नहीं झेल पा रहा हूं। मैं अपने आर्गन को डोनेट करना चाहता हूं।
सॉरी बाबा, मैं बुढ़ापे में आपका कोई सपोर्ट नहीं कर सका। मैं उन सभी लोगों से माफी मांगता हूं। जिनको मेरी वजह से कोई दुख पहुंचा है।’
ये बातें बीटेक स्टूडेंट्स ने सुसाइड नोट में लिखकर जान दे दी। छात्र ने लिखा- मैं कॉलेज प्रबंधन से स्पेशल रिक्वेस्ट करता हूं कि मेरी जितनी भी फीस लगी है। उसे मेरे पिता जी को वापस कर दें। पुलिस मेरे सुसाइड के लिए किसी को ब्लेम न दें।
कॉलेज के हॉस्टल में पंखे से लटका मिला शव बिहार के के रहने वाले कार्तिक डे ने बताया- तीन साल पहले बेटे शिवम डे का ग्रेटर नोएडा स्थित शारदा विश्वविद्यालय में बीटेक में एडमिशन दिलाया था। वर्तमान में वह उसका अंतिम ईयर चल रहा था। वह हॉस्टल में रह रहा था।
शुक्रवार को वह अपने कमरे से देर तक बाहर नहीं आया। इस पर उसके दोस्तों ने हॉस्टल के वार्डन को सूचना दी। वार्डन ने डुप्लीकेट चाभी से दरवाजा खोला। देखा- शिवम का शव पंखे से बेडशीट के फंदे से लटक रहा था।
वार्डन ने पुलिस और परिजनों को सूचना दी। पुलिस ने शव को नीचे उतारा। इसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वार्डन से छात्र के परिजनों को फोन कर सूचना दी।
पिता बोले- वो मेरे जिगर का टुकडा था, नहीं पढ़ना था तो बता देता नोएडा पहुंचे पिता ने बताया- अभी शिवम दो महीने तक घर पर रहा। उसने ऐसा नहीं बताया कि उसके साथ क्या हो रहा है? वो आराम से बातचीत करता रहा। कोई दिक्कत नहीं थी। अभी दो अगस्त को घर से लौटा। इससे पहले हम वैष्णोदेवी गए थे। वहां भी कुछ ऐसा नहीं था। सब ठीक था। मेरे परिवार का इकलौता बेटा था। अगर नहीं पढ़ना था तो मना कर देता। वो मेरे जिगर का टुकडा था।
कहा- मेरा लड़का कॉलेज नहीं जाता होगा। तो वो दिन भर हॉस्टल मे ही रहता होगा। कॉलेज प्रबंधन या हॉस्टल वार्डन को इस तरह का एक्टीविटा लगा तो गार्जियन को कॉल करना चाहिए था। यूनिवर्सिटी फीस लेती है तोव उस जिम्मेदारी बनती है कि गार्जियन को इंफॉर्म करे।
कॉलेज प्रशासन की गलती है, इंफॉर्म नही किया दिल्ली में रहने वाले शिवम के मामा के लड़का शुभांकर ने बताया- शुक्रवार को उसके हॉस्टल से हमें फोन आया कि शिवम ने सुसाइड कर लिया। शिवम के पापा पूर्णिया, बिहार में रहते हैं। ऑफिस में काम करते हैं। मैं तो कहूंगा कि कॉलेज वालों की लापरवाही है। अगर बच्चा कॉलेज नहीं आ रहा था तो बताना चाहिए था।
कॉलेज वालों ने बताया कि वह 2 साल से कॉलेज नहीं आ रहा था। फीस बराबर जा रही थी। कॉलेज प्रशासन को बताना था। पैरेंट्स को कॉल करनी चाहिए थी। मगर उन्होनें एक पर्सेन्ट भी इंफॉर्म नही किया। कॉलेज प्रशासन ने क्यों नहीं बताया। इसकी जांच की जाए।
अब हूबहू सुसाइड नोट पढ़िए
अगर आप इसे पढ़ रहे हैं, मैं मर चुका हूं। मेरी मौत का जिम्मेदार मैं खुद हूं। कोई और इसके लिए जिम्मेदार नहीं है। मैं इसके लिए पिछले एक साल से तैयारी कर रहा था। यह दुनिया मेरे लिए नहीं है या मैं ही इसके लायक नहीं हूं। मैं ही किसी काम का नहीं हूं। पुलिस से मेरी गुजारिश है कि मेरी मौत के लिए किसी को पकड़ा नहीं जाए। शारदा यूनिवर्सिटी से मेरा विशेष आग्रह है कि मैंने सेकंड ईयर के बाद से कॉलेज ज्वाइन नहीं किया है।। मेरी जो फीस बची रह गई है, उसे मेरे अभिभावकों को वापस कर दें। मैं एक अच्छा छात्र नहीं था या शायद इस एजुकेशन सिस्टम के लिए मैं सही नहीं था। अगर यह देश महान बनना चाहता है तो उसे सही एजुकेशन सिस्टम शुरू करना होगा। अगर मेरे शरीर का अंग काम कर रहा है तो मैं उसे दान करना चाहता हूंं। मैं उन सभी से माफी चाहता हूं जो मुझे प्यार करते हैं। बाबा, मां सॉरी। मैं आपके बुढ़ापे का सहारा नहीं बन सका। मैं इस तनाव और दबाव को और नहीं झेल सकता हूं। किसी और को न डराया जाए। मैं मरने के बाद किसी और को परेशान करना नहीं चाहता हूं। “आई एम सॉरी”