करीब 17 साल पहले देश और दुनिया को हिलाकर रख देने वाले बहुचर्चित निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली ओर मोनिंदर सिंह पंढेर को सोमवार को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोली को 12 और पंढेर को दो मामलों बरी करते हुए इन मामलों में उन्हें सुनाई गई फांसी की सजा को रद्द कर दिया है।मोनिंदर सिंह पंढेर की वकील मनीषा भंडारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि हाईकोर्ट ने पंढेर को फांसी की सजा वाले दोनों मामलों में बाइज्जत बरी कर दिया है। पंढेर के खिलाफ कुल 6 मामले थे। जिनमें से दो में फांसी की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने बताया कि सुरेंद्र कोली को भी हाईकोर्ट में दायर सभी अपीलों में बरी कर दिया गया है। बता दें कि सीबीआई ने कुल 16 मामले दर्ज किए थे और उनमें से सभी में कोली पर हत्या, अपहरण और बलात्कार के अलावा सबूत नष्ट करने और एक मामले में पंढेर पर अनैतिक तस्करी का आरोप लगाया था।
कोली और पंढेर ने खुद को सजा-ए-मौत दिए जाने के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।हाईकोर्ट में 134 कार्य दिवसों में अपीलों पर सुनवाई हुई। सुरेंद्र कोली की 12 में से पहली अपील साल 2010 में दाखिल की गई थी। कोली और पंढेर ने कोर्ट में कहा था कि इन घटनाओं का कोई चश्मद्दीद गवाह नहीं है। सिर्फ वैज्ञानिक और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई है। दोनों की याचिकाओं पर लंबी सुनवाई चली। अंतत: सोमवार को हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली और पंढेर को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया है। इसके साथ ही उन्हें इन मामलों में मिली फांसी की सजा रद्द कर दी गई हैै।जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एसए हुसैन रिजवी की बेंच ने कोली और पंढेर के पक्ष में ये फैसला सुनाया है। अभी इस फैसले की विस्तृत जानकारी सामने नहीं आई है।
वरिष्ठ अधिवक्ता मनीषा भंडारी ने कहा कि पंढेर के खिलाफ कुल छह केस थे जिनमें से एक में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले ही बरी कर दिया था। बाकी तीन में निचली अदालत से बरी हो गए थे। बचे दो मामलों में फांसी की सजा थी। उनमें सोमवार को उन्हें बरी कर दिया गया। अब इनके खिलाफ कोई सजा लंबित नहीं है। उम्मीद है कि जल्द से जल्द वे बाहर आ जाएंगे। अधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में पूरी जांच प्रक्रिया सवालों के घेरे में है।
2005 से 2006 के बीच हुए इस कांड ने मानवता को शर्मसार कर दिया था। निठारी कांड के नाम से कुख्यात यह मामला तब सामने आया जब दिसम्बर 2006 में नोएडा के सेक्टर 30 स्थित ग्राम निठारी में कोठी नंबर डी 5 के पास नाले में कुछ कंकाल पाए गए।बाद में, यह पाया गया कि मोनिंदर पांडेर घर का मालिक था और कोली उसका घरेलू नौकर था। दोनों को 29 दिसंबर 2006 को गिरफ्तार किया गया था। पंढेर और उसके नौकर कोली पर महिलाओं और मासूम बच्चियों के साथ रेप के बाद उनकी हत्या कर शव के टुकड़े-टुकड़े करके नाले में फेंक देने के आरोप लगे थे। बताया गया था कि कई को कोठी में ही दफन कर दिया गया था। सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी। सीबीआई के अनुसार, कोली ने कई लड़कियों की उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके हत्या कर दी थी और फिर उन्हें उनके घर के बाहर पिछवाड़े में फेंक दिया था। कई पीड़ित परिवारों के संपर्क करने के बाद गाजियाबाद अदालत ने पंढेर को पांच अन्य मामलों में तलब किया था।गौरतलब है कि रिम्पा हालदार मर्डर केस में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा को बरकरार रखा था। बाद में हाईकोर्ट ने देरी के आधार पर रिम्पा हालदार मामले में फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था।
कोली और पंढेर 2006 से गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं। उन्होंने सीबीआई के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था। हाईकोर्ट ने दोनों की याचिका को स्वीकार कर लिया था। इनकी अपीलों पर लंबी बहस के बाद खंडपीठ ने 15 सितम्बर को फैसला सुरक्षित कर लिया था जो आज सुनाया गया। इसमें आरोप साबित न हो पाने के कारण दोनों को निर्दोष करार देते हुए फांसी की सजा रद्द कर दी गई है।