आगरा: शहर के कई मेडिकल फर्म और उनके गोदामों पर यूपी एसटीएफ और औषधि विभाग ने छापेमारी की. इस दौरान कई ब्रांडेड कंपनियों के रैपर में नकली दवाएं मिलीं. छापेमारी टीम ने करीब 3 करोड़ रुपए की नकली दवाएं सीज की हैं. कई गोदामों को सील कर दिया गया है. इसी कार्रवाई के दौरान नकली दवा सिंडिकेट के कारोबारी ने एसटीएफ इंस्पेक्टर को 1 करोड़ रुपए रिश्वत की पेशकश भी की. टीम ने जाल बिछाकर कारोबारी को पैसों के साथ गिरफ्तार किया है.
जानकारी के मुताबिक, लखनऊ एसटीएफ मुख्यालय को आगरा थोक दवा बाजार में मल्टीनेशनल कंपनी जायडस, ग्लेनमार्क, सनफार्मा, सनोफी सहित आधा दर्जन ब्रांडेड कंपनियों के नाम से नकली दवाइयां बेचने की शिकायत मिली थी. दो महीने से एसटीएफ और औषधि विभाग की टीमें इस नेटवर्क को खंगाल रही थीं. इसी जांच और छानबीन में टीम को नकली दवा कारोबार के बारे में अहम सुराग मिले.
सुबह शुरू हुई छापेमारी रात 2 बजे तक चली: पुख्ता इनपुट मिलने के बाद शनिवार सुबह 10 बजे एसटीएफ और औषधि विभाग की संयुक्त टीम सैयद गली, मोती कटरा स्थित हेमा मेडिको फर्म पहुंची. फर्म के संचालक हिमांशु अग्रवाल निवासी कर्मयोगी, कमलानगर के यहां पर छानबीन शुरू की गई. कार्रवाई से घबराए कारोबारी हिमांशु अग्रवाल ने जांच रोकने के लिए 1 करोड़ रुपए रिश्वत की पेशकश कर दी, लेकिन टीम ने कार्रवाई जारी रखी और रात दो बजे तक छापेमारी हुई.
4 घंटे में कारोबारी ने किया 1 करोड़ का इंतजाम: रिश्वत की पेशकश पर एसटीएफ इंस्पेक्टर ने मुख्यालय को जानकारी दी. इसके बाद कारोबारी से रुपए लाने के लिए बोला गया. यह हिमांशु अग्रवाल को रंगे हाथ दबोचने के लिए किया गया. शनिवार दोपहर हिमांशु अग्रवाल तीन बैग में 500-500 रुपए के नोटों की 200 गड्डियां लेकर बाइक से फव्वारा मार्केट पहुंचा. टीम ने कैश के साथ उसे गिरफ्तार किया. कोतवाली थाने पर नोटों की गिनती की गई.
कई पहलू पर जांच कर रही टीमें: एसटीएफ के एडिशनल एसपी राकेश कुमार यादव ने बताया कि दवा कारोबारी हिमांशु ने इंस्पेक्टर यतींद्र से व्हाटएसएप पर बात की. उसने रिश्वत देने की पेशकश की. एक करोड़ रुपए ऑफर किए लेकिन इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा का ईमान नहीं डिगा. उसने इसकी जानकारी मुझे और एडीजी कानून-व्यवस्था अमिताभ यश को दी. इसके बाद उसे ट्रैप किया गया.
उन्होंने बताया कि चार घंटे में ही दवा कारोबारी ने एक करोड़ जुटाए और रिश्वत देने आ गया. एक साथ रिश्वत की इतनी रकम अभी तक नहीं पकड़ी गई है. जांच में यह भी सामने आया है, कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश समेत अन्य राज्यों से नामचीन कंपनियों की फैक्ट्री में ब्रांडेड दवा जैसी हूबहू दवाएं बनवाई जाती हैं. उनका क्यूआर कोड भी होता है, जिन्हें लेदर के बैग में रखकर ट्रेन से मंगवाया जाता है.
चाचा संग किया था दवा का काम: एसटीएफ एएसपी ने बताया कि हेमा मेडिको फर्म के कारोबारी हिमांशु अग्रवाल ने पूछताछ में बताया कि उसने अपने चाचा बबलू के साथ दवाइयों का काम शुरू किया था. नकली दवा का नेटवर्क हिमांशु खुद संभालता है. अपने नेटवर्क के जरिए ही उसने एक करोड़ रुपए का इंतजाम कर लिया था. अभी उससे और पूछताछ की जा रही है.
दवा कंपनियों के प्रतिनिधि बुलाए: एसटीएफ और औषधि विभाग की टीम ने हिमांशु अग्रवाल से पूछताछ की. इसके बाद उसे लेकर एसटीएफ फिर उसकी फर्म पर पहुंची. जहां पर पहले से ही टीम ने दवा कंपनियों के प्रतिनिधि बुला लिए थे. दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों से हिमांशु अग्रवाल की फर्म में मिली दवाओं के क्यूआर कोड स्कैन करने के साथ रैपर के प्रिंट की जांच कराई.
टीम ने शनिवार रात एक बजे तक सर्दी जुकाम, दर्द निवारक दवाएं, चर्म रोग की दवाओं सहित करीब तीन करोड़ की कीमत की 214 कार्टन से अधिक दवाइयां जब्त की हैं. सहायक औषधि आयुक्त अतुल उपाध्याय ने बताया कि मुबारक महल स्थित हेमा मेडिको एजेंसी और गोगिया मार्केट स्थित बंसल मेडिकल एजेंसी की होलसेल की दुकानें और गोदाम सील किए हैं. इनकी जांच चल रही है.
चेन्नई से आई एक करोड़ की नकली टैबलेट: सहायक औषधि आयुक्त अतुल उपाध्याय ने बताया कि आगरा में दवा माफिया ने सर्दी जुकाम और एलर्जी में इस्तेमाल होने वाली सनोफी कंपनी की ऐलेग्रा-120 टैबलेट की खेप चेन्नई से मंगाई थी. यह खेप शुक्रवार रात आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर उतारी थी. यह ऑटो से फव्वारा बाजार स्थित गोंगिया मार्केट में बंसल मेडिकल पर पहुंची. जहां पर पहले से निगरानी कर रही एसटीएफ और औषधि विभाग टीम ने ऑटो पकड़ लिया.
ऑटो से ऐलेग्रा-120 की 2.97 लाख टैबलेट जब्त हुईं हैं. इस बारे में सनोफी कंपनी के प्रतिनिधि ने प्रारंभिक जांच के बाद सभी टेबलेट नकली बताई है. ऑटो चालक से पूछताछ के बाद टीम ने आगरा कैंट निवासी एजेंट फरहान के घर पर छापा मारा. गिरोह से जुड़े कई कारोबारियों, हॉकर और ट्रांसपोर्ट कंपनी पर भी छापेमारी की जा रही है. रविवार को बंसल मेडिकल स्टोर और गोदाम की जांच होगी.