इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षिका से चुनाव संबंधित कार्य लिए जाने के रामपुर के एसडीएम/ चुनाव पंजीकरण अधिकारी के आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने शिक्षिका का वेतन रोकने के आदेश पर भी रोक लगा दी है और उसे नियमित वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया है। सहारनपुर की संयमी शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने दिया। याची के अधिवक्ता नवीन कुमार शर्मा का कहना था कि याची को एसडीम/ चुनाव पंजीकरण अधिकारी रामपुर मनिहारान ने चुनाव संबंधी विविध कार्यों में लगाया था जिसकी वजह से याची द्वारा किए जा रहे शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहे थे। वह छात्रों को पढ़ाने का काम नहीं कर पा रही थी। बाद में एसडीएम ने 29 अक्टूबर 2024 के आदेश से याची का वेतन रोक दिया गया।
अधिवक्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा सुनीता शर्मा एडवोकेट की जनहित याचिका पर पारित फैसले का हवाला दिया। इस निर्णय में खंडपीठ ने कहा है कि शिक्षकों से शिक्षणेत्तर कार्य नहीं लिए जा सकते हैं। खंडपीठ ने अपने विस्तृत निर्णय में कहा है कि बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है, यह उनके मौलिक अधिकार में शामिल है तथा अनिवार्य शिक्षा अधिनियम की धारा 27 में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जा सकता है। शिक्षकों से सिर्फ 10 वर्ष में होने वाली जनगणना, आपदा राहत और सामान्य निर्वाचन के समय ही सेवा ली जा सकती है। इसके अलावा उनसे कोई अन्य ड्यूटी लेना अवैधानिक है।
खंडपीठ ने कहा है कि शिक्षकों का कार्य सिर्फ छात्रों को पढ़ाना है। उनसे शिक्षण कार्य के बाद भी दूसरा कोई कार्य भी गलत है क्योंकि शिक्षण कार्य के बाद शिक्षक से अगले दिन की क्लास में पढ़ाने की तैयारी करने और खुद की जानकारी को बढ़ाने की अपेक्षा की जाती है ताकि वह बेहतर शिक्षा दे सकें। कोर्ट ने एसडीएम के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि एसडीएम ने ऐसा आदेश पारित किया है जिसकी प्रक्रिया कानून में नहीं है। कोर्ट ने शिक्षिका का वेतन बहाल करने और उसे नियमित वेतन का भुगतान करने का भी निर्देश दिया है।