संचार नाउ। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की नीतियों के खिलाफ किसानों का गुस्सा अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। आगामी 30 जुलाई 2025 को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय पर आयोजित होने वाली “विशाल किसान महापंचायत एवं धरना प्रदर्शन” को सफल बनाने के लिए गांव-गांव में परिवार वार नुक्कड़ सभाएं जोर पकड़ रही हैं। पल्ला, दतावली सहित दर्जनों गांवों में किसानों ने जनसम्पर्क कर आंदोलन में भागीदारी का आह्वान किया।
किसान नेता सुनील फौजी एडवोकेट ने बताया कि किसान अब अपने हक के लिए निर्णायक आंदोलन की ओर बढ़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि नए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार किसानों को बाजार दर का 4 गुना मुआवजा, 20% प्लॉट और पुनर्वास एवं पुनर्व्यवस्थापन से जुड़ी समस्त सुविधाएं
दिए जाने चाहिएं।
सुनील फौजी ने यह भी मांग रखी कि 1894 के पुराने कानून के तहत जिनकी जमीनें ली गईं, उन्हें भी 10% प्लॉट, समान मुआवजा, और 64.7% अतिरिक्त प्रतिकर प्रदान किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्राधिकरण को अब स्पष्ट करना होगा – क्या विकास किसानों के सहयोग से होगा, या उनके अधिकार कुचल कर?
किसानों की अन्य प्रमुख मांगों में –
- अधिग्रहित गांवों का सुनियोजित विकास,
- आबादी निस्तारण,
- भूमिहीन व कमजोर किसानों को विकास में साझेदारी,
- और युवाओं को महाराष्ट्र और हरियाणा की तर्ज पर 70-80% रोजगार आरक्षण देने जैसी मांगे शामिल हैं।
जय जवान जय किसान मोर्चा एवं प्रभावित किसान संगठन द्वारा आयोजित इस महापंचायत के लिए जनसमर्थन तेज़ी से बढ़ रहा है। किसान नेताओं ने कहा कि अगर मांगे नहीं मानी गईं तो यह आंदोलन बड़े जनांदोलन में बदल सकता है।