उत्तर प्रदेश के चर्चित कवियित्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व नेता और मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को 20 साल बाद जेल से रिहा किया जाएगा. इन दोनों की रिहाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हो रही है. 66 साल के अमरमणि की रिहाई के संबंध में उत्तर प्रदेश कारागार विभाग ने आदेश भी जारी कर दिया है.
दरअसल, 20 साल पहले 2003 में लखनऊ की पेपरमील कॉलोनी में रहने वाली मधुमिता शुक्ला की हत्या की जांच सीबीआई ने की थी. सीबीआई ने दोनों को दोषी बताते हुए अदालत में चार्जशीट फाइल की थी. जिसके बाद अदालत ने हत्याकांड के लिए दोनों को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. दोनों को जेल में रहते हुए 20 साल से अधिक का समय बीत चुका है. ऐसे में उनकी उम्र और जेल में बिताई गई सजा की अवधि के साथ-साथ अच्छे आचरण को देखते हुए बाकी बची हुई सजा को माफ कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की जेलों में उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों को उनके आचरण और क्राइम को देखते हुए रिहाई का आदेश दिया था. हालांकि, उस समय कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ तो अमरमणि त्रिपाठी फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और अवमानना याचिका दायर की. इसके बाद 18 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई का आदेश पारित किया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 20 साल तक जेल में रहने और इनके अच्छे आचरण को देखते हुए और अन्य किसी मामले में वाद शामिल न हों तो इनकी रिहाई कर दी जाए.
9 मई 2003 को हुई थी हत्या
साल 2003 में 9 मई को लखनऊ में पेपर मिल कॉलोनी में उस समय सनसनी फैल गई जब कवियित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई. घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने जब मामले की जांच शुरू की तो अधिकारियों को अमरमणि और मधुमिता के बीच चल रहे प्रेम प्रसंग का पता चला था. जब मधुमिता की हत्या की गई उस समय वो सात महीने की प्रेग्नेंट थी. वहीं, हत्याकांड के वक्त यूपी में बसपा की सरकार थी और अमरमणि मंत्री थे.
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा
हाई प्रोफाइल मामला होने की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने केस को देहरादून ट्रांसफर कर दिया था. देहरादून में फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई और 24 अक्टूबर 2007 में अदालत ने अमरमणि, पत्नी मधुमणि और अन्य आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. सजा सुनाए जाने के बाद से ये सभी जेल में बंद हैं.