लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में राष्ट्र प्रेरणा स्थल (डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा) का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने कहा ये डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश को दिशा देने निर्णायक भूमिका निभाई है। ये डॉ. मुखर्जी ही थे जिन्होंने भारत में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान के विधान को खारिज कर दिया था।”आज़ादी के बाद भी, यह व्यवस्था भारत की एकता और अखंडता के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई थी।बीजेपी को इस बात पर गर्व है कि हमारी सरकार को अनुच्छेद 370 की दीवार को खत्म करने का मौका मिला। नरेंद्र मोदी ने कहा, “थोड़ी देर पहले मुझे यहां राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण करने का अवसर मिला। ये राष्ट्र प्रेरणा स्थल उस सोच का प्रतीक है जिसने भारत को आत्मसम्मान, एकता और सेवा का मार्ग दिखाया है। डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीन दयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी जी इनकी विशाल प्रतिमाएं जितनी ऊंची हैं इनसे मिलनी वाली प्रेरणाएं उससे भी बुलंद है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,” जिस जमीन पर यह प्रेरणा स्थल बना है, उसकी 30 एकड़ से भी ज्यादा जमीन पर पहले कूड़े का पहाड़ बना हुआ था। पिछले तीन वर्षों में इसे पूरी तरह समाप्त किया गया। इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी श्रमिकों, कारीगरों, योजनाकारों, योगी जी और उनकी पूरी टीम को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ” आज आत्मनिर्भरता को हम नई बुलंदी दे रहे हैं। मेड इन इंडिया सामान दुनिया के कोने-कोने में पहुंच रहा है। यहां उत्तर प्रदेश में ही ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ का बड़ा अभियान चल रहा है। छोटे
उद्योगों और छोटी यूनिट्स की क्षमता बढ़ रही है। उत्तर प्रदेश में एक बहुत बड़ा डिफेंस कॉरिडोर बनाया जा रहा है। ब्रह्मोस मिसाइल, जिसकी ताकत दुनिया ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखी थी, अब लखनऊ में बन रही है। वह दिन दूर नहीं जब उत्तर प्रदेश का डिफेंस कॉरिडोर डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के लिए दुनिया भर में जाना जाएगा। दशकों पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अंत्योदय का सपना देखा था। उनका मानना था कि भारत की प्रगति का पैमाना अंतिम पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के चेहरे की मुस्कान से मापी जाएगी… दीनदयाल जी के सपने को मोदी ने अपना संकल्प बनाया है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज अटल जी की जयंती का यह दिन, सुशासन के उत्सव का भी दिन है। लंबे समय तक देश में ‘गरीबी हटाओ’ जैसे नारों को ही सुशासन मान लिया गया था, लेकिन अटल जी ने सही मायनों में सुशासन को ज़मीन पर उतारा। आज डिजिटल पहचान की इतनी चर्चा होती है, उसकी नींव रखने का काम अटल जी की सरकार ने ही किया था।”














