जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर को अग्रिम जमानत दे दी, जिस पर बल के जूनियर अधिकारी द्वारा बलात्कार का आरोप है। अपने फैसले में अदालत ने जांच जारी रखने की अनुमति दी है, लेकिन निर्देश दिया है कि बिना उसकी अनुमति के आरोप पत्र दाखिल नहीं किया जाना चाहिए।
अदालत ने आगे कहा कि जिस व्यक्ति का नाम उजागर नहीं किया गया है, उसे गिरफ्तार करने से उसकी प्रतिष्ठा और सेना में उसके करियर दोनों को नुकसान हो सकता है। अदालत ने भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर के लिए जमानत की विशिष्ट शर्तें निर्धारित की हैं, जिसके तहत उसे जांच अधिकारी की संतुष्टि के लिए 50,000 रुपये की दो जमानत राशि और उतनी ही राशि का निजी मुचलका जमा कराना होगा।
इसके अलावा, उसे अपने कमांडिंग अधिकारी से पूर्व अनुमति प्राप्त किए बिना जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश छोड़ने से भी मना किया गया है।
अदालत ने आदेश दिया है कि उसे ‘अभियोजन पक्ष के गवाहों से शारीरिक या किसी अन्य तरीके से किसी भी तरह के संपर्क से बचना चाहिए’ उसे 14 से 16 सितंबर तक सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच और उसके बाद आवश्यकतानुसार अदालती सत्रों में उपस्थित होना होगा।
विंग कमांडर के खिलाफ आरोप अदालत का यह फैसला बडगाम पुलिस स्टेशन में विंग कमांडर के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद आया है, जो इस सप्ताह की शुरुआत में एक महिला फ्लाइंग ऑफिसर द्वारा दर्ज कराई गई बलात्कार की शिकायत के बाद दर्ज किया गया था।