लोकसभा चुनाव में अमेठी से मिली हार के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राजनीतिक मंचों से जो दूरी बना ली थी, वह अब खत्म होती दिख रही है। शुक्रवार को यूपी बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए हुए पंकज चौधरी के नामांकन के दौरान उनकी सक्रिय उपस्थिति को उनकी दूसरी राजनीतिक पारी के आगाज के तौर पर देखा जा रहा है। पिछले एक साल से राजनीतिक गलियारों से दूर रहकर अपनी टीवी सीरियल की शूटिंग में व्यस्त रहीं स्मृति ईरानी की यह अचानक सक्रियता कई नए राजनीतिक कयासों को जन्म दे रही है। राजनीतिक निष्क्रियता और चुप्पी के बीच कयास लगाए जा रहे थे कि शायद वह अब राजनीति से मनोरंजन की दुनिया में लौट गई हैं। लेकिन बीजेपी के इस बड़े संगठनात्मक कार्यक्रम में उनकी मौजूदगी और मिली प्रमुख भूमिका ने इन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है।

मंच पर सिर्फ 8 लोग: स्मृति ईरानी को मिली ‘वीवीआईपी’ सीट
पंकज चौधरी के नामांकन कार्यक्रम में स्मृति ईरानी की भूमिका सिर्फ एक सांसद की नहीं थी, बल्कि उन्हें मुख्य मंच पर जगह मिली और वह खुद पंकज चौधरी के प्रस्तावकों में शामिल रहीं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि मंच पर केवल आठ लोगों को ही जगह मिली थी। इन आठ लोगों में केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक विनोद तावड़े, प्रदेश भाजपा चुनाव प्रभारी डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह और स्मृति ईरानी शामिल थीं। इस कार्यक्रम में यूपी के कई अन्य कैबिनेट मंत्री मौजूद थे, लेकिन उन्हें मंच पर जगह नहीं मिली। यह साफ संकेत देता है कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व अब भी स्मृति ईरानी को एक प्रमुख और महत्वपूर्ण चेहरा मानता है।
‘तेजतर्रार वक्ता’ के रूप में फिर उपयोग
राजनीतिक जानकारों और विश्लेषकों का मानना है कि स्मृति ईरानी का इस तरह सक्रिय भूमिका निभाना, उनकी दूसरी सियासी पारी की शुरुआत है। उनका मानना है कि:
राष्ट्रीय चेहरा: अमेठी से चुनाव हारने के बावजूद, वह आज भी राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का एक प्रमुख चेहरा हैं।
विपक्ष पर वार: उनकी छवि एक तेजतर्रार वक्ता की है, जो विपक्ष को मजबूती से घेर सकती हैं।
महिला संदेश: उन्हें संगठनात्मक प्रक्रिया में शामिल करके पार्टी महिला कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को एक मजबूत संदेश देना चाहती है।
यह संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में पार्टी स्मृति ईरानी को नई संगठनात्मक जिम्मेदारी या राज्यसभा जैसे उच्च सदन के माध्यम से फिर से सक्रिय कर सकती है। पंकज चौधरी के नामांकन में उनकी प्रस्तावक की भूमिका को, पार्टी की ओर से उन्हें सार्वजनिक मंच पर फिर से स्थापित करने का पहला कदम माना जा रहा है।













