नोएडा: नोएडा पुलिस पर गंभीर आरोप लगने के बाद मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. सेक्टर-126 पुलिस स्टेशन में एक महिला वकील को 14 घंटे तक अवैध हिरासत में रखे जाने और यौन उत्पीड़न का शिकार बनाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस से CCTV फुटेज सीलबंद लिफाफे में पेश करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि मामले में लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं और CCTV कैमरों के बंद होने का मुद्दा भी कोर्ट के ध्यान में है, इसलिए सुनवाई जरूरी है.

महिला वकील ने दावा किया है कि 3 दिसंबर 2025 की रात उन्हें उनके प्रोफेशनल काम के दौरान नोएडा सेक्टर-126 थाने में रोका गया था. वकील का कहना है कि वह अपने क्लाइंट के लिए FIR दर्ज कराने गई थीं. उसी दौरान उन्हें 14 घंटे तक गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया और पुलिसकर्मियों ने उनके साथ बदसलूकी की. आरोप है कि इस दौरान CCTV कैमरे भी बंद कर दिए गए थे.
याचिका में कहा गया है कि हिरासत के दौरान SHO समेत कई पुरुष पुलिस अधिकारियों ने उनके साथ शारीरिक दुराचार किया और धमकाया. वकील ने यह भी बताया कि पुलिस ने उन्हें डराने के लिए पिस्टल गर्दन पर रखी और उनसे मोबाइल पासवर्ड मांगा. बाद में उनके फोन से रिकॉर्डेड वीडियो मिटा दिए गए.
महिला वकील ने यह दावा भी किया कि जब वह अपने घायल क्लाइंट के लिए FIR दर्ज कराने की मांग कर रही थीं, तभी पुलिस ने मारपीट, धमकी और उत्पीड़न शुरू कर दिया. वकील के मुताबिक पुलिस ने साजिश के तहत CCTV सबूत हटाने की कोशिश की. याचिका में कहा गया कि यह घटना सिर्फ महिला अधिकारों का उल्लंघन नहीं, बल्कि कानून के राज का सीधा अपमान है.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत आमतौर पर इस तरह की याचिकाएं सीधे स्वीकार नहीं करती, लेकिन CCTV कैमरों के लॉक होने और गंभीर आरोपों को देखते हुए केस स्वीकार किया जा रहा है. कोर्ट ने नोएडा पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है कि CCTV फुटेज को सीलबंद सुरक्षित रखा जाए और इसे 7 जनवरी तक पेश किया जाए.
याचिका में यह भी कहा गया कि NHRC ने केस को ‘कस्टोडियल वायलेंस’ कैटेगरी में दर्ज किया है. वहीं राज्य पुलिस पर आरोप है कि FIR दर्ज नहीं की जा रही है और आरोपियों को बचाया जा रहा है.












