आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों की नीचे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह दबे होने के मामले में बृहस्पतिवार को सिविल जज सीनियर सुधा यादव की कोर्ट में एक और वाद दायर किया गया है। संयुक्त वाद में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, लखनऊ और जामा मस्जिद प्रबंध समिति को प्रतिवादी बनाया गया है। न्यायालय ने मामले में सुनवाई के लिए 11 सितंबर की तिथि नियत की है।
मामले में श्रीकृष्ण लला विराजमान की ओर से कौशल किशोर ठाकुर उर्फ कौशल सिंह तोमर सदस्य योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट, योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट, क्षत्रीय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट मघटई, अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह अध्यक्ष योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट और अनंजय कुमार सिंह सदस्य योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्म स्थान, सेवा संघ ट्रस्ट ने वाद दायर कराया।
ये किया गया दावा
प्रस्तुत वाद में दवा किया कि श्रीकृष्ण जन्म स्थान मंदिर (कटरा केशव राय मंदिर) डींग गेट, मथुरा को वर्ष 1670 में मुगल शासक औरंगजेब के आदेशानुसार ध्वस्त कर दिया गया। उस स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर दिया गया। मंदिर के गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित प्रभु श्रीकृष्ण और अन्य के विग्रहों को आगरा की शाही जामा मस्जिद की सीढ़ियों में दबा दिया गया था।
दिए गए साक्ष्य
वाद में अपने किए दावों की प्रमाणिकता साबित करने के लिए तमाम साक्ष्य भी लगाए हैं। सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने वाद को लघुवाद न्यायाधीश (जज खफीफा) भारतेंदु गुप्ता की अदालत में स्थानांतरित कर दिया। इस मामले में पूर्व से भागवताचार्य कथा वाचक देवकी नंदन की ओर से दायर वाद लंबित है। उन्होंने 11 मई को वाद दायर किया था। इसमें अब तक तीन सुनवाई हो चुकी हैं। अब सुनवाई के लिए 18 अगस्त की तिथि नियत है।