गैंगस्टर से माफिया और फिर राजनेता बने अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ अहमद की हत्या की जांच के लिए अब उनकी बहन आयशा नूरी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में अतीक के बेटे असद के एनकाउंटर को भी संदिग्ध बताया. आयशा ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में जांच आयोग बनाने की मांग की है.
गौरतलब है कि इस मामले में विशाल तिवारी नाम के वकील की पीआईएल पर सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल को यूपी सरकार से जांच की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी. 3 जुलाई को वह पीआईएल सुनवाई के लिए लगी है.
अतीक-अशरफ को पुलिस अभिरक्षा में मारी गई थी गोली
अतीक और अशरफ अहमद को अप्रैल के महीने में तब गोली मार दी गई थी जब वह उमेश पाल हत्याकांड में यूपी पुलिस की कस्टडी में लिया गया था और पुलिस देर रात दोनों माफिया बंधुओं का मेडिकल चेकअप कराने के लिए अस्पताल लेकर जा रही थी. उसी दौरान मीडिया कर्मी बन कर आए तीन हमलावरों ने प्वाइंट ब्लैंक रेंज ले उनको गोली मार दी थी जिससे दोनों भाईयों की मौका ए वारदात पर ही मौत हो गई थी.
अतीक-अशरफ अहमद को गोली मारने के बाद तीनों हमलावरों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था और पुलिस उनको गिरफ्तार करके लेकर चली गई थी. अतीक की हत्या उस शाम हुई थी जिस सुबह उसके बेटे असद को सुपुर्द ए खाक किया गया था. दरअसल पहले से हाशिए पर चल रहा यह माफिया परिवार मुसीबतों के घेर में तब आया जब इसके बेटे असद और गैंग के बाकी लोगों ने दिन-दहाड़े एक वकील उमेश पाल की बम-गोली मारकर हत्या कर दिन-दहाड़े हत्या कर दी थी.
‘माफिया को मिट्टी में मिला देंगे’
उनके इस कदम को राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ के शासन में कानून और व्यवस्था के इकबाल की चुनौती के रूप में देखा गया. मामला तब और गाढ़ा हो गया जब विधानसभा के सेशन में विपक्षी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने उनसे इस हत्याकांड की जांच को लेकर तंज कसा. इसके जवाब में सीएम योगी ने कहा कि उनकी सरकार माफिया को मिट्टी में मिलाने का काम करेगी.