उत्तर प्रदेश में 27 साल पुराने हत्या के मामले में बसपा नेता को कोर्ट ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. ये मामला साल 1996 का है. फर्रुखाबाद में तैनात रहे इंस्पेक्टर रामनिवास यादव कानपुर ट्रांसफर होकर आ गए थे. 14 मई 1996 को रामनिवास एक पुराने केस में गवाही देने के लिए फर्रुखाबाद गए थे और शाम के वक्त ट्रेन से कानपुर वापस लौट रहे थे.
इसी दौरान शहर के अनवरगंज रेलवे स्टेशन पर खड़ी ट्रेन में उनकी हत्या कर दी गई थी. इस मामले में फर्रुखाबाद के बसपा नेता अनुपम दुबे समेत तीन लोगों को आरोपी बनाया गया था. कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई के दौरान दो आरोपियों की मौत भी हो गई. गुरुवार को मामले के फैसले वाले दिन कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आरोपी बसपा नेता अनुपम दुबे को कानपुर कोर्ट लाया गया और एडीजे 8 की कोर्ट ने उन्हें उम्र कैद की सजा के साथ एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
हाईकोर्ट में अपील की कही बात
जिला शासकीय अधिवक्ता दिलीप दिलीप कुमार के मुताबिक इस मुकदमे में 17 गवाह पेश किए गए थे. जबकि कोर्ट में विटनेस के रूप में चार गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए थे. इस घटना के समय ट्रेन में मौजूद रहे गवाह मुलायम सिंह की गवाही सबसे अहम थी. वहीं सजा सुनाए जाने के बाद मीडिया से बातचीत में अनुपम दुबे ने कहा कि कोर्ट ने जो भी फैसला सुनाया है, उसका सम्मान करते हैं. हमारे पास अभी हाईकोर्ट के दरवाजे खुले हैं. इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे.
सुनवाई के दौरान दो आरोपियों की मौत
इंस्पेक्टर रामनिवास यादव ने फर्रुखाबाद में तैनाती के दौरान एक मुकदमे की छानबीन की थी और इसी केस के सिलसिले में गवाही देने के लिए वो फर्रुखाबाद गए थे. जहां उनकी हत्या कर दी गई थी. मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी नेम कुमार उर्फ बिलैया और कौशल की मौत हो गई.