योगी कैबिनेट ने इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति में न्यूनतम 25 एकड़ में इसे बसाने की बाध्यता समाप्त कर दी है। बिल्डर न्यूनतम 12.5 एकड़ भूमि पर अब इस योजना में टाउनशिप बना सकेंगे। आवंटियों के हितों को देखते हुए इंटीग्रेटेड टाउनशिन नीति में स्वीकृत डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) में संशोधन करने और परियोजना अवधि में विस्तार की सुविधा दे दी गई है। 25 एकड़ तक तीन साल और इससे अधिक होने पर पांच साल में टाउनशिप को पूरा करना होगा। इससे इन योजनाओं में आवंटियों को फ्लैट और भूखंड मिलने का रास्ता हो गया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति 2005 और 2014 के अधीन स्वीकृत और अब तक निष्क्रिय परियोजनाओं को निरस्त करने व चालू करने का रास्ता साफ हो गया है। इस नीति के तहत बिल्डरों को न्यूतम 25 एकड़ से लेकर 500 एकड़ में टाउनशिप विकसित करने के लिए विकास प्राधिकरण व आवास विकास परिषद के माध्यम से लाइसेंस दिया गया था। इस योजना में परियोजनाओं को आठ से लेकर 12 साल में पूरा करना था, लेकिन कई परियोजनाएं पूरी नहीं हो पाई और आवंटियों का पैसा फंस गया।
क्षेत्रफल में कटौती व विस्तार की सुविधा
इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति में वर्ष 2005 में 22 और वर्ष 2014 में 18 बिल्डरों को लाइसेंस दिए गए। इसमें से पांच परियोजनाएं पूरी हुई। सात परियोजनाएं निष्क्रिए हैं और 14 पर काम चल रहा है। टाउनशिप बस न पाने की मुख्य वजह भूमि न मिल पाना बताया गया। अधिकतर बिल्डर 25 एकड़ भूमि भी नहीं जुटा पाए। इसीलिए संशोधित नीति में बिल्डरों को एक मौका देने का फैसला किया गया है। फैसले के मुताबिक बिल्डरों को क्षेत्रफल में कटौती और विस्तार की सुविधा दी गई है।
साढ़े 12 एकड़ में टाउनशिप की सुविधा
कैबिनेट फैसले के मुताबिक बिल्डरों को न्यूनतम 12.5 एकड़ क्षेत्रफल में टाउनशिप बसाने की सुविधा दे दी गई है। पहले 25 एकड़ न्यूतम भूमि चाहिए थी। कटौती के बाद छोड़ी गई भूमि किसी थर्ड पार्टी को नहीं दिया जाएगा। परियोजना क्षेत्र के बाहर 10 प्रतिशत क्षेत्र पर भी विकास की अनुमति दी जाएगी। बिल्डरों को पूलिंग के आधार पर भूमि लेने की भी सुविधा दी गई है। भू-उपयोग परिवर्तन की सुविधा भी दी जाएगी।
तीन माह में देना होगा डीपीआर
इस नीति के तहत बिल्डरों को संशोधन डीपीआर तीन माह में विकास प्राधिकरण या आवास विकास परिषद को देना होगा। पुराने ले-आउट में बदलाव की जरूरत होने पर भी इसे प्रस्तुत करना होगा। टाउनशिप के अंदर लोगों की जरूरत के आधार पर सभी सुविधाएं देनी होंगी। नई नीति में 25 एकड़ तक की टाउनशिप को तीन साल और 25 एकड़ से अधिक पर पांच साल में पूरा करना होगा।
80 हजार एकड़ विस्तार शुल्क
परियोजना अवधि समाप्त होने वाले बिल्डरों को उसे पूरा करने के लिए केस-टू-केस के आधार पर 80 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से डीपीआर स्वीकृति के समय विस्तर शुल्क देना होगा। डीपीआर संशोधन न कराने वालों को परियोजना अवधि विस्तार, समय विस्तार शुल्क लेआउट पास कराते समय देना होगा।












