नोएडा प्राधिकरण ने स्पोर्टस सिटी परियोजना में शामिल 81 सब लीजी में 62 को बकाया जमा करने का नोटिस दिया था। ये सब लीजी सेक्टर-78,79,150 और 152 के है। इसमें से सब लीजी ने 319 करोड़ रुपए जमा कराए है। जबकि स्पोर्टस सिटी के चार मुख्य डेवलपर पर करीब 11 हजार 642 करोड़ का बकाया है। ये नोटिस इलाहाबाद हाईकोर्ट के फरवरी 2025 के आदेश जिसमें स्पोर्टस सिटी परियोजना की जांच सीबीआई और ईडी से कराने को कहा गया था जारी किए गए।

नोटिस जारी होने के बाद सब लीजी (कंसोर्टियम के सदस्यों) में कंटेंड बिल्डर्स (140 करोड़ रुपए), ब्रिक राइज डेवलपर्स (87 करोड़ रुपए), ऐस इंफ्रासिटी डेवलपर्स (12 करोड़ रुपए) और स्टार लैंड क्राफ्ट (80 करोड़ रुपए) ने आंशिक भुगतान कर दिया है।
चार प्रमुख डेवलपर पर बकाया
प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार, सेक्टर 150 में लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स पर 4,082 करोड़ रुपए और लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन पर 4,177 करोड़ रुपए बकाया हैं, जबकि सेक्टर 78-79 में स्पोर्ट्स सिटी विकसित करने वाली ज़ानाडू एस्टेट पर 635 करोड़ रुपए बकाया हैं। सेक्टर 152 परियोजना के डेवलपर एटीएस होम्स पर 2,745 करोड़ रुपए का बकाया है।
2010 की है परियोजना
स्पोर्ट्स सिटी योजना 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के आसपास शुरू की गई थी। जिसका उद्देश्य आवासीय और व्यवसायिक स्थानों के साथ खेल सुविधाओं को मिलाकर एकीकृत खेल टाउनशिप विकसित की जा सके। योजना के तहत परियोजना के 70% क्षेत्र में स्पोर्टस एक्टिविटी व 30 प्रतिशत में आवासीय और व्यवसायिक उपयोग के लिए आरक्षित करना आवश्यक था।
फरवरी 2025 में दिया आदेश
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फरवरी 2025 में अपने आदेश में, प्राधिकरण के अधिकारियों और डेवलपर्स के बीच मिलीभगत का हवाला देते हुए, स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं के भूमि आवंटन और विकास में कथित अनियमितताओं की सीबीआई और ईडी को जांच करने का निर्देश दिया था। इसके बाद, ज़ानाडू एस्टेट, लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स और लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई हैं।
25 मामले हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 26 एसएलपी
कई डेवलपर्स ने राहत पाने के लिए विभिन्न अदालतों और न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया है। वर्तमान में, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) और एनसीएलएटी में नौ याचिकाएं लंबित हैं, जबकि 25 मामले इलाहाबाद उच्च न्यायालय में हैं। इसके अतिरिक्त, सर्वोच्च न्यायालय में 26 विशेष अनुमति याचिकाएं (एसएलपी) दायर की गई हैं, जिसने कार्यवाही जारी रखने की अनुमति दी है, लेकिन प्राधिकरण को डेवलपर्स के खिलाफ “दंडात्मक कदम” उठाने से रोक दिया है।