भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सिडनी में पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का आखिरी मुकाबला खेला जा रहा है। मैच के दूसरे दिन रोहित शर्मा ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने उन सभी रिपोर्ट्स का खंडन किया है, जिसमें कहा जा रहा था कि रोहित टेस्ट से संन्यास लेने वाले हैं। रोहित ने कहा है कि यह कोई संन्यास नहीं है और वह जल्द से जल्द पूरे दम के साथ वापसी करेंगे। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ इस टेस्ट में नहीं खेल रहे हैं। रोहित ने कहा कि भारत के लिए सिडनी टेस्ट जीतना और बॉर्डर गावस्कर को रिटेन करना ज्यादा जरूरी था और टीम के हित में उन्होंने ये फैसला लिया।
रोहित ने दूसरे दिन लंच ब्रेक के दौरान ऑफिशियल ब्रॉडकास्टर स्टार स्पोर्ट्स से लगभग 15 मिनट बातचीत की और उन सभी रिपोर्ट्स का खंडन किया, जिसमें कहा जा रहा था कि रोहित टेस्ट से संन्यास लेने जा रहा हैं। बीते कुछ दिनों से कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि उन्हें बीसीसीआई और टीम मैनेजमेंट को टेस्ट से संन्यास की जानकारी दे दी है और सिडनी टेस्ट के बाद वह इसकी जानकारी दे देंगे। हालांकि, रोहित ने इसे खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि टीम के लिए उन्होंने ये फैसला लिया, क्योंकि उनकी बैटिंग फॉर्म अच्छी नहीं थी। उनके लिए निजी हित से ज्यादा जरूरी टीम का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पांचवां टेस्ट जीतना जरूरी था।विज्ञापन
रोहित ने कहा- मेरे दिमाग में चल रहा था कि मेरी बैटिंग फॉर्म अच्छी नहीं चल रही है। आप आउट ऑफ फॉर्म खिलाड़ियों को ज्यादा मौके नहीं दे सकते। इसलिए मेरी यह समझ थी कि मैं ये बात कोच और चयनकर्ताओं को बताऊं कि ये चीजें मेरे मन में चल रही हैं। उन्होंने मेरे फैसले की सराहना की और कहा कि आप इतने समय से खेल रहे हो और आपको पता है कि आप क्या कर रहे हो और क्या नहीं कर रहे हो। मेरे लिए यह फैसला लेना मुश्किल था, लेकिन अगर सबकुछ सामने रखा जाए तो यह फैसला जरूरी था। ज्यादा आगे की सोचूंगा नहीं, लेकिन इस समय पर टीम को क्या चाहिए था, बस यही सोच रहा था। इसके अलावा कुछ नहीं सोचा।
यह पूछे जाने पर कि यह फैसला उन्होंने मेलबर्न टेस्ट के बाद बनाया था या सिडनी टेस्ट से एक दिन पहले बनाया? रोहित ने कहा- यह फैसला मैंने सिडनी आकर लिया। मेलबर्न टेस्ट खत्म होने के बाद हमारे पास दो दिन का समय था और उसमें भी एक दिन नए साल का था। नए साल पर मुझे चयनकर्ता और कोच से ये बात नहीं करनी थी। ये बात मेरे दिमाग में चल रही थी कि मैं कोशिश कर रहा हूं, लेकिन हो नहीं रहा है। तो यह मुझे समझना होगा कि मुझसे नहीं हो रहा है और मेरे लिए किनारे हटना जरूरी था।
भारतीय टीम ने पर्थ, एडिलेड और गाबा में शुरुआती तीन टेस्ट में केएल राहुल और यशस्वी से ओपनिंग कराई थी। इसके बाद मेलबर्न में रोहित खुद यशस्वी के साथ ओपनिंग उतरे थे। यह पूछे जाने पर कि आपके मन में प्लेइंग कॉम्बिनेशन को लेकर क्या चल रहा था? इस पर रोहित ने कहा- जब मैं पर्थ पहुंचा था तो मेरे मन में यह बात थी कि हमने वहां क्यों जीत हासिल की। इसकी दो वजहें थीं। पहला तो यह कि हम 150 पर आउट होने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया को 100 रन के आसपास आउट करने में कामयाब रहे थे। इसके बाद मैच कहीं भी जा सकता था। दूसरी पारी में भारत की ओर से ओपनिंग में 200 रन की जो साझेदारी हुई, वह गेमचेंजर साबित हुई। हमें पता है कि यहां पर गेंदबाजों को मदद मिलती है और बल्लेबाजों के लिए चैलेंज है। उस चुनौती को राहुल और यशस्वी ने बड़े अच्छे तरीके से संभाला और टीम को ऐसी स्थिति में ला खड़ा किया, जहां से हम हार नहीं सकते थे। ये सब चीज दिमाग में थी और फिर मुझे लगा कि इसमें कोई छेड़खानी करने की जरूरत नहीं है।
रोहित ने कहा- मैं जब भी कप्तानी करता हूं, पांच महीने के बाद क्या होने वाला है…छह महीने के बाद क्या होने वाला है, मुझे उसमें विश्वास नहीं है। इस चीज पर ध्यान देने की जरूरत है कि अभी क्या चाहिए टीम को। हमारा पूरा ध्यान इन पांच मैच पर था। हमें बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी रिटेन करनी थी। तो यह फैसला जो लेना था, वह टीम को सामने रखकर लेना था।
रोहित ने कहा- ये जो फैसला है, वह संन्यास का नहीं है और न ही मैं पीछे हटने वाला हूं इस प्रारूप से। सिडनी टेस्ट से मैं बाहर हुआ हूं क्योंकि बल्ला नहीं चल रहा है। कोई गारंटी नहीं है कि पांच महीने के बाद बल्ला नहीं चलेगा…कोई गारंटी नहीं है कि दो महीने के बाद बल्ला नहीं चलेगा। क्रिकेट में हम सबने देखा है कि हर सेकंड, हर क्षण जिंदगी बदलती है। मुझे अपने आप पर विश्वास है कि चीजें बदलेंगी। हालांकि, मुझे इस क्षण में क्या जरूरी है, उस पर भी ध्यान देना था। कोई क्या बोल रहा (संन्यास कि रिपोर्ट्स) उससे हमारी जिंदगी नहीं बदलती है। ये लोग फैसला नहीं ले सकते कि हम कब संन्यास लें, हम कब नहीं खेलें, हमें कब बाहर बैठना है या हम कब कप्तानी करें। समझदार व्यक्ति हूं, मैच्योर हूं..दो बच्चों का बाप हूं, तो मेरे पास थोड़ा दिमाग है कि मुझे जिंदगी में क्या चाहिए। जो कुछ भी लिखा जा रहा है वह हमारे कंट्रोल में नहीं है और जिस चीज पर हम कंट्रोल नहीं कर सकते, उस पर ध्यान देकर कुछ होने वाला नहीं है। होने दो यार..क्या कर सकते हैं! अपना गेम खेलो और ध्यान दो कि आपको कैसे जीतना है, उससे ज्यादा हम क्या कर सकते हैं।
यह पूछे जाने पर कि आपने अपनी भावनाओं पर काबू कैसे पाया? रोहित ने कहा- मेरे लिए बहुत मुश्किल था। मैं यहां इतनी दूर से बाहर बैठने थोड़ी आया हूं, बेंच पर बैठने थोड़ी आया हूं। मेरे को मैच खेलना है और अपनी टीम को जिताना है। पहली बार 2007 में जब मैं ड्रेसिंग रूम में आया था, तब से लेकर अब तक यही मानसिकता रही है। कभी कभी आपको समझना पड़ेगा कि टीम की जरूरत क्या है। टीम को अगर आप आगे नहीं रखते तो कोई फायदा नहीं है। आप अपने लिए खेलोगे, अपने लिए रन बनाओगे और जाकर ड्रेसिंग रूम में बैठ जाओगे तो उससे क्या होने वाला है। अगर आप टीम के बारे में नहीं सोचते तो ऐसे खिलाड़ी या ऐसे कप्तान हमें नहीं चाहिए। सिर्फ टीम पर ध्यान होना चाहिए। हम टीम क्यों बोलते हैं इसे..क्योंकि इसमें 11 लोग खेल रहे हैं, कोई अकेला थोड़ी खेल रहा है। जो टीम के लिए जरूरी है, वो करने की कोशिश करो।
यह कहे जाने पर कि क्या इसे बेंचमार्क साबित किया जाना चाहिए? रोहित ने कहा- मैं दूसरे लोगों का कुछ नहीं कह सकता। ये सिर्फ मेरे निजी विचार हैं। इसी तरह से मैंने पूरे जीवन में क्रिकेट खेला है और मैदान से बाहर भी मेरी यही धारणा है। ऐसा नहीं है कि मैं कुछ और दिखाने की कोशिश कर रहा हूं। जो है वो दिख रहा है। किसी को अगर पसंद नहीं है तो माफ कीजिए। जो मुझे लगता है वो मैं करता हूं, जो मुझे गलत लगता है वो मैं नहीं करता हूं। एकदम साफ बात। इससे क्या डरना है।
बुमराह के बारे में पूछे जाने पर रोहित ने कहा- उन्हें गेम का अच्छा आइडिया है। अपनी गेंदबाजी से जैसे वह दूसरे लोगों के लिए उदाहरण सेट करते हैं, वो क्लास है। गेम को समझते हैं और हमेशा टीम को आगे रखते हैं। मैं उन्हें पिछले 11 साल से देख रहा हूं। 2013 में पहली बार मैंने देखा था उनको। उनका भी जो ग्राफ ऊपर गया है, वह अपने आप में एक उदाहरण है। अपनी गेंद को लेकर, अपनी सोच को लेकर, जिस तरह से वह गेंदबाजी करते हैं, पूरी दुनिया देख रही है। वह हमारी मजबूती हैं, इसमें कोई शक नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि बुमराह के अलावा कौन सा खिलाड़ी टेस्ट में कप्तानी करने के लिए तैयार है? रोहित ने कहा- इसके लिए अभी बोलना बहुत मुश्किल है। बहुत से लड़के हैं, लेकिन मैं चाहता हूं कि पहले वो लड़के क्रिकेट की अहमियत समझें। अभी नए लड़के हैं काफी। मुझे पता है कि उन्हें जिम्मेदारी देनी चाहिए, लेकिन उन्हें ये हासिल करने दीजिए। उन्हें कप्तानी हासिल करने के लिए अगले कुछ वर्षों तक मुश्किल क्रिकेट खेलने देना चाहिए। तब वह इसे हासिल करें। मैं हूं अभी, बुमराह हैं, उससे पहले कोहली थे और उससे पहले एमएस धोनी थे। उन सभी ने कप्तानी मुश्किल क्रिकेट खेलने के बाद हासिल की थी। किसी को भी कप्तानी प्लेट में रखी हुई नहीं मिली। ऐसे किसी को भी कप्तानी नहीं मिलनी चाहिए। मेहनत करें। लड़कों में काफी टैलेंट है, लेकिन यह भी समझना जरूरी है कि भारतीय टीम की कप्तानी करना कोई मामूली बात नहीं है। दबाव अलग चीज है, लेकिन यह सबसे बड़ा सम्मान है। हमारा जो इतिहास रहा है और जिस तरीके से हमने क्रिकेट खेला है, कप्तानी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है दोनों कंधों पर। युवाओं को कप्तानी हासिल करने दीजिए, उन्हें मौका मिलेगा, इसमें कोई शक नहीं है।
इस लीडरशिप में मिली सीख के बारे में पूछे जाने पर रोहित ने कहा- लीडरशिप में हर दिन आपके अच्छे दिन नहीं रहेंगे। इसको आपको स्वीकार करना पड़ेगा। यह भी बात समझने की जरूरत है कि आप जो तीन महीने से अच्छा कर रहे थे, वह अचानक से तीन महीने में खराब नहीं हो जाता। आइडियाज और माइंडसेट वैसा ही रहता है। जो कप्तानी मैं पिछले आठ महीने में कर रहा था, बिल्कुल वही सोच अभी भी रहती है, लेकिन अगर कामयाबी नहीं मिलती है तो लगता है कि अरे यार…