संचार नाउ। नोएडा प्राधिकरण द्वारा डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण बताते हुए किए गए अतिक्रमण हटाओ अभियान के बाद स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश फैल गया है। प्राधिकरण के अनुसार, एनजीटी के आदेश पर लगभग 40,000 वर्ग मीटर भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है। इस कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल तैनात रहा और बुलडोज़र से प्लॉटों की बाउंड्री तथा निर्माण को ध्वस्त किया गया। प्लॉट खरीदारों ने सरकार से अपील की है कि या तो उन्हें वैध मानकर बसने दिया जाए, या फिर उनकी निवेश राशि उन्हें जिम्मेदार अधिकारियों और डीलरों से वापस दिलाई जाए।

दरअसल, यहाँ प्लॉट खरीदकर वहां अपना घर बसाने की कोशिश कर रहे दर्जनों परिवार इस कार्रवाई को अन्याय बता रहे हैं। प्रभावित लोगों का कहना है कि जो जमीन वे खरीदकर आए हैं, उसकी रजिस्ट्री सरकारी कार्यालय में वैधानिक रूप से कराई गई, रजिस्ट्री का पूरा शुल्क सरकार को दिया गया, फिर अब अचानक प्राधिकरण उसी जमीन को अवैध बताते हुए तोड़फोड़ कैसे कर सकता है?
रजिस्ट्री वैध तो घर अवैध कैसे?
लोगों का आरोप है कि प्रॉपर्टी डीलरों ने उन्हें यह कहकर प्लॉट बेचे कि यह किसानों की जमीन है, आसानी से रजिस्ट्री हो जाएगी और धीरे-धीरे बिजली, पानी और सड़क जैसी सुविधाएं मिल जाएंगी। “हमने अपनी जमा-पूंजी, खून-पसीने की कमाई लगाई। रजिस्ट्री भी हो गई। यह सब वैध था, तब प्राधिकरण कहां था?”—ऐसा सवाल पीड़ितों ने उठाया।
प्लॉट खरीददारों ने सरकार से मांग की है कि अगर जमीन डूब क्षेत्र थी, तो रजिस्ट्री कार्यालय ने इसे पास क्यों किया? प्रॉपर्टी डीलर, रजिस्ट्री कार्यालय और इस पूरी प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई हो। लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि प्राधिकरण की कार्रवाई चयनात्मक है। इसी क्षेत्र में बड़े-बड़े फार्म हाउस और ऊंची इमारतें खड़ी हैं, लेकिन बुलडोज़र केवल छोटे प्लॉटों और निम्नवर्गीय मकानों पर ही चलता है। वही लोगो ने सवाल उठाया कि बड़े निर्माणों पर कार्रवाई क्यों नहीं?
प्राधिकरण और प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर उठे सवाल
ग्रेटर नोएडा के डूब क्षेत्र में लगातार अवैध कॉलोनियों की प्लॉटिंग होती रही है। रजिस्ट्री हो रही है, मकान बन रहे हैं, लेकिन प्रशासन और प्राधिकरण की कार्रवाई केवल अंतराल पर होती है और उसके बाद निर्माण फिर से शुरू हो जाते हैं। इससे प्राधिकरण और प्रशासनिक अमले की कार्यप्रणाली और विश्वसनीयता पर गहरे सवाल उठ रहे हैं।













