आज यानी 21 सितंबर को आश्विन माह की अमावस्या तिथि है, जिसे सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। सनातन धर्म में सूर्य ग्रहण को शुभ नहीं माना जाता है।
इस दौरान पूजा-अर्चना करने की मनाही है। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। सर्वपितृ अमावस्या के दिन कई योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 21 September 2025) के बारे में।
तिथि: कृष्ण अमावस्या
मास पूर्णिमांत: अश्विन
दिन: रविवार
संवत्: 2082
तिथि: अमावस्या रात्रि 01 बजकर 23 मिनट तक
योग: शुभ रात्रि 07 बजकर 53 मिनट तक
करण: चतुर्पदा सुबह 12 बजकर 46 मिनट तक
करण: नागवा रात्रि 01 बजकर 23 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 09 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 06 बजकर 19 मिनट पर
चंद्रमा का उदय: नहीं होगा
चन्द्रास्त: शाम 06 बजकर 03 मिनट पर
सूर्य राशि: कन्या
चंद्र राशि: सिंह
पक्ष: कृष्ण
शुभ समय अवधि
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक
अमृत काल: 21 सितम्बर को सुबह 03 बजकर 38 मिनट से सुबह 05 बजकर 22 मिनट तक
अशुभ समय अवधि
राहुकाल: शाम 04 बजकर 48 मिनट से शाम 06 बजकर 19 मिनट तक
गुलिकाल: दोपहर 03 बजकर 16 मिनट से शाम 04 बजकर 48 मिनट तक
यमगण्ड: दोपहर 12 बजकर 14 मिनट से दोपहर 01 बजकर 45 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र में रहेंगे…
पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र- सुबह 09 बजकर 32 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं: रचनात्मकता, उत्पादकता, कामुकता, असहजता, अहंकार, आलस्य, स्नेही स्वभाव, ईमानदारी और सुंदरता
नक्षत्र स्वामी: शुक्र देव
राशि स्वामी: सूर्य देव
देवता: भग (प्रेम और विवाह के देवता)
गुण: राजस
प्रतीक: बिस्तर
सर्व पितृ अमावस्या का धार्मिक महत्व
सर्व पितृ अमावस्या, जिसे आमतौर पर पितृ पक्ष का अंतिम दिन भी कहा जाता है, वह दिन है जब हम अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। यह अमावस्या जुलाई-अगस्त महीने में पड़ती है और इसे विशेष रूप से पितरों की तर्पण और श्राद्ध के लिए शुभ माना जाता है।
इस दिन पितरों के लिए जल और अन्न अर्पित करना, दान देना, और परिवार के साथ पितृ तर्पण करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से सुख, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
पूजा विधि:
- सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।
- नदी या तालाब के किनारे बैठकर पितरों के लिए जल, दूध, या अन्न अर्पित करें।
- “ॐ पितृभ्यो नमः” मंत्र का जाप करें।
- दान स्वरूप अनाज, वस्त्र या पैसे किसी जरूरतमंद को दें।
- ध्यान और प्रार्थना में अपने पूर्वजों के कल्याण की कामना करें।